ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।
किसी दूसरे की तलाश का जनून अब सुस्ताए पड़ा है। 
अब ये तलाश अंग्रेज़ी के "Suffer" से बदल कर हिन्दी के सफर में हो चुकी है। 
दुनिया तो अब भी वहीं है परन्तु हमारी राह बदल चुकी है।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

चाहत की आड़ मैं बिशी वोह चादर अब जरा सरक सी गई है। खुद के पैर पसारने की आदत अब लग सी गई है।
कहते हैं कुछ लोग अब सेहत हमारी बिगड़ सी गई है।
अभी तो होश संभाले हमने, ज़िंदगी अब बदल सी गई है।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

किसी पुस्तकालय में पड़ी हुई वोह एक क़िताब सी थी।
खुद से मिलने की मंजिल अब पास ही थी। 
खुशनसीब हुए इस राह पर चलकर हम।
लगता है इस पल की हमें तलाश सी थी।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

अनसुनी कहानियां अब मेरे शब्दों से आ मिली हैं।
लेकर बहार जैसे बारिश की बूंदे गिरी हैं।
ये तसवीर खुद की न जाने अब किसने पड़ी है।
खुद में खुद को जांकने की अब आदत सी लगी है।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

अब घिरता कम, संभलता कम, खुद को समझाता कम हूं। 
बिना बात पे खुद पर अब भड़कता कम हूं।
नई राह है अब मेरी दस्तक पर।
उस ओर जाने से अब कतराता कम हूं।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

अब हर दिन बराबर लगता है।
समय जैसे अपना सा लगता है।
कभी कभी बैठा रहता हु खुद में बैचेन।
कभी कभी एक पल साल सा लगाता है।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

वोह कह देते हैं कभी फुर्सत में बतलायेंगे।
अब होश नही हमको।
हम खुद में ही गुनगुनाएंगे।
कभी जो तन्हा हुए तो इन शब्दों की मदिरा पी जाएंगे।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

रूठे हुए कल से जब माने हुए आज को मैंने जाना तो पता चला ज़िंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।
शत पे शाम की चाय के साथ प्लेट में गुमनाम पड़ा है।
जिंदगी का सफर अब शांत खड़ा है।

धन्यवाद।

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